छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में 16 महाजनपदों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार और सिंधु घाटी में कई गणराज्यों का अस्तित्व था. इन गणराज्यों में, वास्तविक शक्ति जनजातीय कबीलों के हाथों में थी.
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, मगध महाजनपद उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली महाजनपद बन गया था. मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्चिम में सोन नदी तक विस्तृत थीं. मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह थी.
1. भारत के प्राचीनतम प्राप्त सिक्के-
[A] तांबे के थे
[B] रांगा के थे
[C] सोने के थे
[D] चांदी के थे
सही जवाब: D [ चांदी के थे ]
टिप्पणियाँ: भारत के प्राचीनतम प्राप्त सिक्के आहत सिक्के या पंचमार्क सिक्के थे, जो चांदी के बने होते थे। इनके ऊपर ठप्पा देकर निशान बनाए जाते थे, इसीलिए इन्हें ‘आहत सिक्के’ या ‘पंचमार्क सिक्के’ कहा जाता है।
टिप्पणियाँ:कोशल महाजनपद की राजधानी साकेत तथा श्रावस्ती थी। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी। शेष सभी विकल्प सही सुमेलित हैं।
3. चंड- प्रद्योत किस प्राचीन गणराज्य के राजा थे ?
[A] काशी
[B] अवंति
[C] अंग
[D] वज्जि
सही जवाब: B [ अवंति ]
टिप्पणियाँ: चंड- प्रद्योत अवंति का शासक था। बुद्ध काल में अवंति की राजधानी उज्जैन थी। बिंबिसार के समय में मगध के साथ चंड-प्रद्योत का संबंध | मैत्रीपूर्ण था। एक बार प्रद्योत के पाण्डुरोग से ग्रसित होने पर बिंबिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को उसके उपचार के लिए भेजा था।
4. अभिलेखीय साक्ष्य से प्रकट होता है कि नंद राजा के आदेश से एक नहर खोदी गई थी-
[A] अंग में
[B] बंग में
[C] कलिंग में
[D] मगध में
सही जवाब: C [ कलिंग में ]
टिप्पणियाँ: खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख से नंद राजा महापद्मनंद की कलिंग विजय सूचित होती है। इसके अनुसार, नंद राजा जिनसेन की एक प्रतिमा उठा ले गया तथा उसने कलिंग में एक नहर का निर्माण करवाया था।
5. उज्जैन का प्राचीनकाल में नाम क्या था ?
[A] तक्षशिला
[B] इंद्रप्रस्थ
[C] अवंतिका
[D] इनमें से कोई नहीं
सही जवाब: C [ अवंतिका ]
टिप्पणियाँ: मध्य प्रदेश के मालवा संभाग में स्थित उज्जैन को भारत के प्राचीन ऐतिहासिक नगरों में गिना जाता है। यह 16 महाजनपदों में से एक अवंति की दो राजधानियों में से एक थी। उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जैन तथा दक्षिणी अवंति की राजधानी माहिष्मती थी। अवंति को अवंतिका भी कहा जाता था।
शैव धर्म में शाक्त, नाथ, दसनामी, नाग आदि उप संप्रदाय हैं. शैव मत का मूलरूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में है. 12 रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए. शैव सम्प्रदाय के अनुसार कर्ता शिव हैं, कारण शक्ति और उपादान बिंदु हैं. इस मत के चार पाद या पाश (बन्धन) हैं-विद्या, क्रिया, योग और चर्या.