शैव, भागवत धर्म

शैव धर्म, हिंदू धर्म की एक प्रमुख परंपरा है. यह धर्मशास्त्र मुख्य रूप से भगवान शिव से जुड़ा है. शैव धर्म की उत्पत्ति महाभारत के एक भाग, भागवत पुराण से हुई है. इस पुराण में भगवान शिव की महिमा, विभूतियां, और उनके अनुयायियों की उपासना का वर्णन किया गया है. इसके साथ ही, ब्राह्मण धर्म में भी शिव की महात्म्य और पूजा का उल्लेख है.

शैव धर्म में क्षेत्रीय विविधताओं और दर्शन में भिन्नता के साथ-साथ कई अलग-अलग उप-परंपराएं हैं. शैव धर्म में अद्वैतवाद, द्वैतवाद, और मिश्रित विद्यालयों से लेकर विभिन्न दार्शनिक विद्यालयों के साथ एक विशाल साहित्य है. 

1. प्राचीन भारत के विश्वोत्पत्ति (Cosmogonic) विषयक धारणाओं के अनुसार, चार युगों के चक्र का क्रम इस प्रकार है-

[A] द्वापर, कृत, त्रेता और कलि
[B] कृत, द्वापर, त्रेता और कलि
[C] कृत, त्रेता, द्वापर और कलि
[D] त्रेता, द्वापर, कलि और कृत

सही जवाब: C [ कृत, त्रेता, द्वापर और कलि ]
टिप्पणियाँ: प्राचीन भारत की विश्वोत्पत्ति विषयक धारणाओं के अनुसार, चार युगों के चक्र का क्रम इस प्रकार है-कृत (सतयुग), त्रेता, द्वापर एवं कलियुग ।

 

 

2. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राचीन भारत में शैव संप्रदाय था ?

[A] आजीवक
[B] मत्तमयूर
[C] मयमत
[D] ईशानशिवगुरुदेवपद्धति

सही जवाब: B [ मत्तमयूर ]
टिप्पणियाँ: प्राचीन भारत में मत्तमयूर नामक शैव संप्रदाय का उल्लेख मिलता है।

 

 

3. अर्धनारीश्वर मूर्ति में आधा शिव तथा आधा पार्वती प्रतीक है-

[A] पुरुष और नारी का योग
[B] देवता और देवी का योग
[C] देव और उसकी शक्ति का योग
[D] उपर्युक्त किसी का नहीं

सही जवाब: A [ वाराणसी ]
टिप्पणियाँ: प्राचीन काल में अर्द्धनारीश्वर के रूप में भी शिव की कल्पना की गई, जो पुरुष एवं प्रकृति अथवा देव और उसकी शक्ति के योग को दर्शाता है। शिव और पार्वती की संयुक्त मूर्तियां गुप्त युग में और उसके परवर्ती युग में विशेष रूप से उकेरी गईं। इसी संयोग | का वर्णन कालिदास ने कुमारसम्भवम् में अत्यंत यत्नपूर्वक किया है। शिव और पार्वती का परस्पर इतना तादात्म्य हुआ कि दोनों की सन्निहित मूर्ति ‘अर्द्धनारीश्वर’ के रूप में समाज में चल पड़ी।

 

 

4. नयनार कौन थे?

[A] शैव
[B] वैष्णव
[C] शाक्त
[D] सूर्योपासक

सही जवाब: A [ शैव ]
टिप्पणियाँ: पूर्व मध्यकाल में भक्ति भावना का प्रचार-प्रसार मुख्यतः दक्षिण भारत में विशेषकर तमिल भाषी क्षेत्र में हुआ। तमिल भाषी क्षेत्र में भक्ति भावना को लोकप्रिय बनाने में दो संप्रदायों की प्रमुख भूमिका रही। भगवान विष्णु की उपासना करने वाले विष्णु भक्त अलवार कहलाए और शिव की उपासना करने वाले शिव भक्त नयनार कहलाए। इन्होंने ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत प्रेम और समर्पण से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया और जाति प्रथा एवं इसकी कठोरता का विरोध किया।

 

 

5. निम्नलिखित में से कौन अलवार संत नहीं था ?

[A] पोयगई
[B] तिरुज्ञान
[C] पूडम
[D] तिरुमंगई

सही जवाब: D [ जालन फोर्ट ]
टिप्पणियाँ: पोयगई, पूडम एवं तिरुमंगई अलवार संत थे, जबकि तिरुज्ञान नयनार संत थे।

 

 

शैव धर्म में शाक्त, नाथ, दसनामी, नाग आदि उप संप्रदाय हैं. शैव मत का मूलरूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में है. 12 रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए. शैव सम्प्रदाय के अनुसार कर्ता शिव हैं, कारण शक्ति और उपादान बिंदु हैं. इस मत के चार पाद या पाश (बन्धन) हैं-विद्या, क्रिया, योग और चर्या.

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