मौर्योत्तर काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग था, जो प्राचीन भारतीय सभ्यता के उच्चकोटि के रूप में माना जाता है। इस काल में मौर्य साम्राज्य के शासक चंद्रगुप्त मौर्य और उनके पुत्र सम्राट अशोक के अधिकार में भारत में विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई। इस युग में भारतीय सभ्यता की सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक विकास की अधिकतम गति हुई। अशोक के शासनकाल में धर्म-अध्यात्म, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ और उन्होंने अपने साम्राज्य के अन्तर्गत धर्म की प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित किया। मौर्योत्तर काल भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय रहा है जो मानव सभ्यता की उन्नति और प्रगति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
1. निम्नलिखित में से किस हिंद-यवन शासक ने सीसे के सिक्के जारी किए थे ?
[A] स्ट्रैटो II
[B] स्ट्रैटो I
[C] डेमेट्रियस
[D] मिनांडर
सही जवाब: A [ स्ट्रैटो II ]
टिप्पणियाँ: स्ट्रैटो II ने सीसे के सिक्के जारी किए थे। इस हिंद-यवन शासक का शासन 25 ईसा पूर्व से 10 ईस्वी तक माना जाता है।
2. निम्नलिखित शासकों में से किसके सिक्कों पर संकर्षण एवं वासुदेव दोनों अंकित हैं?
टिप्पणियाँ:अफगानिस्तान के एै खानम (Ai-Khanum) से अगाथोक्लीज के सिक्के प्राप्त हुए हैं, जिन पर वासुदेव (कृष्ण) और संकर्षण का चित्र उकेरा गया है।
3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक अन्य तीनों के समसामयिक नहीं था ?
[A] बिंबिसार
[B] गौतम बुद्ध
[C] मिलिंद
[D] प्रसेनजित
सही जवाब: C [ मिलिंद ]
टिप्पणियाँ: बिंबिसार (544-492 ईसा पूर्व) मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक था। वह हर्यंक कुल से संबंधित था। प्रसेनजित कोसल महाजनपद का राजा था। वह महात्मा बुद्ध का समकालीन था। गौतम बुद्ध (563-483 ईसा पूर्व) ने बौद्ध धर्म का प्रवर्तन किया। मिनांडर, जिसे मिलिंद के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर भारत में इंडो-ग्रीक राजा था। इसका समय 155 अथवा 165 से 130 ईसा पूर्व था। इस प्रकार बिंबिसार, गौतम बुद्ध एवं प्रसेनजित तीनों समकालीन थे, जबकि मिलिंद इनका समसामयिक नहीं था।
4. ‘काव्य शैली’ का प्राचीनतम नमूना किसके अभिलेख में मिलता है?
[A] काठियावाड़ के रुद्रदामन के
[B] अशोक के
[C] राजेंद्र प्रथम के
[D] उपर्युक्त में से कोई नहीं
सही जवाब: A [ काठियावाड़ के रुद्रदामन के ]
टिप्पणियाँ: रुद्रदामन ( 130-150 ई.) का जूनागढ़ अभिलेख गुजरात में गिरनार पर्वत पर प्राप्त हुआ है। ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण संस्कृत भाषा का यह अभिलेख अब तक प्राप्त संस्कृत अभिलेखों में सर्वाधिक प्राचीन है। इस अभिलेख में संस्कृत ‘काव्य’ शैली का प्राचीनतम नमूना प्राप्त होता है।
5. किस अभिलेख में रुद्रदामन प्रथम की विभिन्न उपलब्धियां वर्णित हैं?
[A] जूनागढ़
[B] भितरी
[C] नासिक
[D] सांची
सही जवाब: C [ जूनागढ़ ]
टिप्पणियाँ: गुजरात के जूनागढ़ से रुद्रदामन का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह जिस शिला पर उत्कीर्ण है उसी पर अशोक के चौदह प्रज्ञापनों की एक प्रति तथा स्कंदगुप्त के दो लेख भी खुदे हुए हैं। यह विशुद्ध संस्कृत भाषा तथा ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। इसमें रुद्रदामन की वंशावली, विजयों, शासन व्यक्तित्व आदि पर सुंदर प्रकाश डाला गया है।
मौर्योत्तर काल, मौर्य साम्राज्य के पतन से लेकर गुप्तों के उदय तक का समय था. यह काल दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक चला. इस काल में कई छोटे-छोटे राज्यों में संघर्ष हुआ और उनका उत्थान और पतन हुआ. शुंग, सातवाहन, और कण्व जैसे देशी राजवंशों का पूर्वी, मध्य, और दक्कन क्षेत्र में शासन था.