जैन धर्म
जैन धर्म, सनातन संस्कृति के शास्वत ज्ञान की एक शाखा है. जैन धर्म की उत्पत्ति छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भगवान महावीर जी ने की थी. जैन धर्म के मुताबिक, हर जीवित प्राणी में एक आत्मा होती है. जैन धर्म का अंतिम लक्ष्य जन्म, मृत्यु, और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाना है. जैन धर्म के मुताबिक, अहिंसा, करुणा, ईमानदारी, और आत्म-अनुशासन के रास्ते पर चलकर यह मुक्ति पाई जा सकती है.
जैन धर्म में तीर्थंकरों की आराधना का विशेष महत्व है. तीर्थंकरों को जिनदेव, जिनेन्द्र या वीतराग भगवान कहा जाता है. जैन धर्म में भगवान को न कर्ता और न ही भोक्ता माना जाता है. जैन धर्म में अनेक शासन देवी-देवता हैं, लेकिन उनकी आराधना को कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाता.
‘जैन’ शब्द जिन या जैन से बना है जिसका अर्थ है ‘विजेता’. तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें. जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करें, वह तीर्थंकर कहलाते हैं.
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