भारत का दीपावली उत्सव: सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक परंपराएँ

दीपावली, जिसे हम दीपों का पर्व भी कहते हैं, भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल अक्टूबर या नवंबर के बीच मनाया जाता है। यह उत्सव देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन हर प्रांत में इसे विशेष तरीके से मनाने की परंपरा है।

राष्ट्रीय संदर्भ में, दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है और इसे अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों का समावेश है।

प्रादेशिक दृष्टिकोण से, उत्तर भारत में दीपावली का महत्व भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाए जाने वाले उत्सव के रूप में है, जबकि दक्षिण भारत में यह पर्व राक्षसों पर भगवान कृष्ण की विजय की खुशी में मनाया जाता है। पश्चिम भारत में, विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में, दीपावली को दीनानाथ और लक्ष्मी पूजा के साथ बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पूर्व भारत में, विशेषकर बंगाल में, दीपावली को काली पूजा के रूप में जाना जाता है, जहाँ काली माता की पूजा की जाती है।

आधुनिक समय में, दीपावली केवल धार्मिक उत्सव नहीं रह गया है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक मिलन का अवसर भी बन गया है। लोग अपने घरों को सजाते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं, और पटाखे फोड़ते हैं, साथ ही यह एक अच्छा समय होता है परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने का।

यह त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है, और देशभर के लोगों को एक साझा खुशी और उत्साह का अनुभव कराता है।

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